अक्सर जिन्हे नया काम शुरू करना होता है या पहली बार किसी फ्रेंचाइजी कंपनी को ढूंढ रहे होते है मार्केटिंग करने के लिए तो बड़ा जरूरी होता है कि आप बड़ी सावधानी से कंपनी का सिलेक्शन करे। जो पहले ही किसी कंपनी का काम कर रहे है उन्हें पता होता है कि एक फार्मा फ्रेंचाइजी कंपनी में क्या क्या क्वालिटीज होनी चाहिए। आज का दौर सेवा प्रधान दौर है , मार्किट भी सेवा प्रधान (सर्विस डिपेंडेंट मार्किट ) रह गयी है। कम्पनियो की भीड़ में वो ही टिक पाते है जो अच्छी सर्विस देते है। इस भीड़ में बहुत सी कंपनिया ऐसी है जो केवल प्रोडक्ट को सेल करना जानती है उन्हें पार्टी की मुश्किलो से कोई लेना देना नही होता।
इसीलिए किसी भी कंपनी से जुड़ने से पहले पूरी तरह तस्सली कर लीजिये कि प्रोडक्ट्स की शॉर्टेज या प्रमोशनल इनपुट वाली कोई प्रॉब्लम तो नही है। आप शुरू करे और बाद में पता लगे कि प्रोडक्ट तो आपको समय से मिल नही पा रहा है। कंपनी की तरफ से कोई फॉलो-अप नही मिल पा रहा है। बहुत सारी चीज़े है जिनके बारे में आपको पहली ही सोच-विचार कर लेना चाहिए। केवल सेल या मार्किट का अनुभव ही काफी नही होता कोई भी काम शुरू करने के लिए इसके आलावा और भी बहुत सी चीज़े होती है। आये जानते है कुछ ऐसे ही फैक्टर्स जो आपकी सफलता और असफलता में अंतर पैदा कर सकते है :
गलत कंपनी को सेलेक्ट करना :
सबसे बड़ा जो फैक्टर है वो है आपका कंपनी सिलेक्शन। कंपनी से अपनी टर्म एंड कंडीशंस पहले ही तय कर ले। उनसे पूरा भरोसा ले ले कि प्रोडक्ट सप्लाई अच्छी तरह भी मिल पायेगी या नही। पहले आर्डर में ही आपको संकेत मिल जायेगे कि प्रोडक्ट सप्लाई अच्छी है क्या नही। यह जानने का एक उपाय में आपको बताता हूँ। कंपनी को फाइनल करके जब आप आर्डर देने जा रहे होते है तो पहले जिन भी प्रोडक्ट्स को आप कुछ समय बाद भी प्रमोट करना चाहते है उनका भी आर्डर पहले आर्डर में ही दीजिये। जो पप्रोडक्ट्स अभी आपको चाहिए उनको आप अच्छी क्वांटिटी में मंगवा सकते है बाकि प्रोडक्ट्स को एक या दो बॉक्स या 10 पीसेज वगैरह मंगवाए ताकि आप पर ज्यादा आर्थिक बोझ भी न पड़े। आपका सबसे बड़ा फायदा है इससे आपको पता चल जायेगा कि जो प्रोडक्ट्स उन्होंने प्रोडक्ट लिस्ट में दिए है वो सब वो बनाते भी है या नही। अगर आप 15 प्रोडक्ट्स का आर्डर देते है और कंपनी में 12 या इससे ज्यादा आपको पहले आर्डर में मिल जाते है तो अधिकतर मामलो में कंपनी के पास लगभग प्रोडक्ट्स होंगे। अगर आपको 10 या कम प्रोडक्ट्स मिलते है तो स्थिति कुछ अच्छी नही है। ध्यान रहे कि जो पहली कंपनी आप फाइनल करते है आपका नाम उससे ही मार्किट में जाना जाता है। बाद में तो चाहे कितनी कंपनिया आप ले लो , आपको लोग आपकी पहली कंपनी से ही जानेंगे।
आर्थिक निर्भरता :
अपने कितना भी पैसा इकटा किया हो काम शुरू करने के लिए। किन्तु एक बार शुरुआत के बाद आपको आर्थिक तौर पर जूझना ही पड़ता है। एक तो कोई भी कंपनी कुछ समय तक आपको क्रेडिट नही देगी दूसरा आपको मार्किट में भी पैसा इन्वेस्ट करना पड़ेगा। डॉक्टर की कमीशन, केमिस्ट को उधार , अपने दैनिक खर्चे, मार्केटिंग इनपुट इत्यादि भी आपकी जेब से ही जायेगा। आपको सभी जगह पैसा लगाना पड़ेगा। कुछ महीनो तक ज्यादा वापसी की उम्मीद नही होती। इसी कारण एक्सपर्ट्स कहते है कि अगर आप 100 लोगो को कुछ बेच सकते है तो पहले 25 लोगो से उसकी शुरुआत करिये। जब उधर सबकुछ सही हो जाये तब अपना क्षेत्र आगे बढ़ाये। एक साथ बड़े लेवल पर लांच करने से आपकी परेशानिया बढ़ सकती है। किसी भी लेवल पर आकर अगर आप पैसा जुटाने में विफल हो जाते है तो पहले किया गया सारा इन्वेस्ट डूब भी सकता है।
गलत प्रोडक्ट्स का चुनाव :
आप अनुमान लगाते है कि आपका डॉक्टर इस प्रोडक्ट्स को लिख सकता है क्योकि वो दूसरी कंपनी के लिए इस प्रोडक्ट को ज्यादा लिखता है। हो सकता है आपके लिए वो इस प्रोडक्ट को न लिख पाये। आपके लिए वो कोई ओर यूनिक प्रोडक्ट लिख दे। आपके लिए आपका प्रोडक्ट्स सिलेक्शन बहुत जरूरी है आपको पता होना चाहिए कि आप किस प्रोडक्ट को डॉक्टर से प्रिस्क्राइब करा सकते है। उसके बाद ही मार्किट में काम शुरू करिये। कही ऐसा न हो कि आपको दोहरी इन्वेस्टमेंट करनी पड़ जाये। हो सके तो सबसे लेटेस्ट मॉलिक्यूल से शुरू करने की कोशिश करे ताकि कम कॉम्पिटिशन का सामना करना पड़े। वैसे प्रोडक्ट्स के बारे में आप मुझ से ज्यादा बेहतर जानते होंगे।
दुसरो पर निर्भरता:
ज्यादातर काम इसलिए भी सफल नही हो पाते कि वो दुसरो के भरोसे शुरू किये जाते है। काम अकेले शुरू किया हो या पार्टनरशिप में। दोनों ही स्थिति में दुसरो पर निर्भरता काम होने से पहले ही उसकी असफलता की निशानी है। यह मैंने आज से कुछ साल पहले खुद के अनुभव से सीखा था। हम तीन दोस्तों ने मिलकर एक pcd कंपनी को लेकर काम करना शुरू किया। एक दोस्त मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव था , एक फार्मा प्रोडक्शन में और एक मै फ्रंचिसी मार्केटिंग देखता था। सभी को अपने अपने काम का अच्छा ज्ञान था। काम शुरू हुआ और शुरू होने के 3 महीनो के अंदर ही बंद भी हो गया। कारण साफ़ था हम दिनों एक पर्सन पर निर्भर थे यानि जो दोस्त मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव था। हमे अपने कामो का अनुभव था मगर हम एक टीम में उसको परिवर्तित नही कर पाये। और विफल हो गए। कभी भी अगर काम शुरू किया जाता है तो उसे अपने भरोसे शुरू करे न कि दुसरो के भरोसे। पार्टनरशिप में सभी को एक टीम की तरह पूरी टीम के फायदे के लिए काम करना चाहिए।
धन्यवाद।
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