डर की परिभाषा सबके लिए अलग होती है। किसी को अँधेरे से डर लगता है तो किसी को रोशनी से डर लगता है। किन्तु सही में डर की परिभाषा क्या हो सकती है। डर को कही तरह से परभाषित किया जाता है। मनोविज्ञानिक भी डर के मामले में अपनी भिन्न भिन्न परिभाषाये देते है।
डर एक अनचाही पर्तिकिर्या है जो कि किसी खतरे , दर्द या नुकसान से उतपन होती है। डर भविष्य से जुड़ा भी हो सकता है। वर्तमान से जुड़ा भी हो सकता है। भूतकाल से जुड़ा भी हो सकता है। डर एक मनोविज्ञानिक प्रतिकिर्या है जो हमारे दैनिक जीवन के कार्यो को प्रभावित करती है। ज्यादातर कार्य इसी कारण से नही पाते क्योकि हम अपने डर से जीत पाने में नाकाम हो जाते है।
हम सभी नौकरी पेशा इंसानो के लिए सबसे बड़ा डर होता है – अपने भविष्य की आय सुनिश्चित करना। हमारे पास कोई और जरिया नही होता। यह ही वजह होती है कि टैलेंट और नॉलेज होने के बावजूद ज्यादातर लोगो को खुद का बिज़नेस शुरू करने में डर लगता है और यह डर ही है जो बहुत सारे सफल बिज़नेस के शुरू होने से पहले ही उनकी सम्भवना खत्म कर देता है
डर किसी भी व्यक्ति के जीवन का अभिन्न हिस्सा होता है। हमे सही रास्ता दिखाने और अपने कार्यो को समय से पूरा करने में मद्द्त करता है। किन्तु डर हमे बहुत से महत्वपूर्ण कामो को करने से रोकता है। हमे उस लक्ष्य तक पहुंचने से रोकता है जिस तक हम आसानी तक पहुंच सकते थे। डर के साथ सभी के अपने अपने अनुभव होते है। हर किसी को जिंदगी में किसी न किसी मोड़ पर डर का सामना करना पड़ता है।
हमे डरना किस चीज़ से चाहिए या किस चीज़ से नही , यह आपको कोई नही बता सकता। और अपने डर पर कैसे जीत मिलेगी यह आपको कोई नही सीखा सकता। हम रात को अगर किसी सुनसान सड़क से गुजर रहे होते है तो हमे कुछ न कुछ होने का डर सा लगा रहता है। हमारे डर या अहसास का मतलब यह नही होता कि वहाँ कुछ है। डर हमारी आंतरिक पर्तिकिर्या होती है। इसका बाहरी दुनिया से कोई वास्ता नही होता।
अपना बिज़नेस शुरू करने से पहले हमे भिन्न भिन्न प्रकार के डरो से सामना करना पड़ता है। असफल होने का डर , करियर के खत्म होने का डर , पैसे का डर , नुकसान का डर इत्यादि। पर इसका मतलब यह तो नही होता कि आपको इन्ही परिस्थितियों का ही सामना करना पड़े। हर खेल के दो ही निर्णय होते है – हार या जीत।
पर इसका मतलब यह नही होता की हम खेलने की कोशिश भी न करे। आपकी बात भी मानता हूँ कि आज कल तीसरा भी निर्णय भी होता है यानि बराबरी पर मुकाबला रहना। इसका अर्थ अगर हम यहाँ देखे तो शायद यह होगा की जितना आप जॉब में कमा रहे तो उतना ही आपको खुद के बिज़नेस में मिले।
डर कुछ हद तक ठीक भी होता है। यह हमे भविष्य में होने वाले नुकसानों से बचाने में सहायता करता है। हमारा हर उस स्थिति की तरफ ध्यान केंद्रित कराता है जहाँ हम असफल हो सकते है। पहले ही हम अपनी असफलता की सम्भावनाओ को खत्म कर सकते है। डर हमारी जीत और हार में निर्णायक भूमिका अदा करता है। हमे अहसास भी नही हो पाता और हमारा डर अपना काम कर जाता है।
डर से जीतना इतना आसान नही होता जितना की लिखा जाता है पर डर से भागना , डर से होने वाले नुकसान को कई गुना ज्यादा बढ़ा सकता है। महापरुषो ने भी कहा है – सफलता और असफलता में डर से बड़ा कुछ नही है। धन्यवाद। अगर आपके पास कुछ सुझाव या प्रशन हो तो कृपया आप हमे मेल कर सकते है। pharmafranchiseehelp@gmail.com
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