फार्मा फ्रैंचाइज़ी क्या होती है ? फार्मा फ्रैंचाइज़ी में काम कैसे किया जाता है ?

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फ्रैंचाइज़ी किसे कहते है ?

फार्मा फ्रैंचाइज़ी के बारे में जानने से पहले हमे फ्रैंचाइज़ी सिस्टम के बारे में जानना होगा। फ्रैंचाइज़ी ( Franchise ) एक एंग्लो फ्रेंच शब्द है जिसका की अर्थ होता है – लिबर्टी यानि आजादी। फ्रैंचाइज़ी को अगर हम व्यक्त करते है तो इसे हम यह कह सकते है कि फ्रैंचाइज़ी एक प्राधिकरण ( authorization ) होती है जो कि सरकार द्वारा या कंपनी द्वारा या किसी भी मालिकाना हक़ वाले व्यक्ति के द्वारा किसी व्यक्ति विशेष या समूह को दी जाती है जो कि उन्हें सम्बंधित वस्तु या सेवाओ की व्यापारिक गतिविधियों को करने की अनुमति देती है। यह किसी भी व्यक्ति या समूह को

फार्मा फ्रैंचाइज़ी क्या होती है ?

फ्रैंचाइज़ी की व्यांख्या फार्मा सेक्टर में भी उसी प्रकार की जा सकती है।  हम फार्मा फ्रैंचाइज़ी को कह सकते है कि  यह किसी भी फार्मा कंपनी या इंस्टीटूशन या संस्था द्वारा किसी व्यक्ति या समूह या संस्था को दी गयी प्राधिकरण ( authorization ) है जिससे वह कंपनी का नाम , ब्रांड नाम का उपयोग कर सकता है।  कंपनी के रेप्रेसेंटेटिव के रूप में मार्केटिंग, सेल, डिस्ट्रीब्यूशन, प्रमोशन और दूसरे व्यापारिक काम कर सकता है। ज्यादातर मामलो में संबंधित प्राधिकरण ( authorization ) मोनो पाली राइट्स (एकाधिकार ) के रूप में होते है। एकाधिकार किसी क्षेत्र विशेष या जिले या राज्य के लिए हो सकते है।

अब प्रश्न आता है कि फार्मा फ्रैंचाइज़ी में काम कैसे किया जाता है ?

जो फार्मा से संबंधित व्यक्ति फ्रैंचाइज़ी से अनभिग है उन्होंने केवल इथिकल यानि ब्रांडेड मार्केटिंग और जेनेरिक दवा कम्पनियो और मार्केटिंग के बारे में ही सुना होगा। फ्रैंचाइज़ी मार्केटिंग के बारे में उन्होंने ज्यादा नही सुना होगा। किसी भी मॉलिक्यूल या ड्रग की मैन्युफैक्चरिंग कीमत हर स्थिति में समान रहेगी। चाहे वह जेनेरिक हो या ब्रांडेड हो या फ्रैंचाइज़ी हो। कीमत में फर्क सिर्फ पड़ता है तो उसकी मार्केटिंग खर्चे से। इसी सिद्धांत पर फ्रैंचाइज़ी मार्केटिंग काम करती है।
फार्मा फ्रैंचाइज़ी कंपनिया नेट रेट्स पर प्रोडक्ट सप्लाई करती है और साथ में मार्केटिंग और प्रमोशन का सारा समान भी उपलब्ध कराती है। इस तरह से एक चैन बन जाती है। कंपनी का मार्केटिंग खर्चा बच जाता है और मार्केटिंग पर्सन बिना ज्यादा खर्च के खुद का काम शुरू कर लेता है। इस मार्केटिंग में एक तरह से सबके काम बच जाते है और बिना बड़ी टीम रखे कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को बेच सकती है।
पूरी चैन एक दूसरे से स्वतंत्र होकर भी एक दूसरे से जुडी होती है। नेट रेट्स और एम आर पी में एक निर्धारित अंतर होता है जिससे मार्केटिंग पर्सन को अपना लाभ और मार्केटिंग खर्चे निकालने में कोई परेसानी नही होती।
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