अब तक के लिखे ज्यादातर लेखो में हमेशा फार्मा सेक्टर में सफल होने के बारे में ही बात की है। लेकिन सिक्के के दो पहलू होते है। हर सेक्टर में जहाँ लोग सफल भी होते है तो कुछ लोग असफल भी होते है। असफलता हमेशा इसीलिए नही मिलती की आपने मेहनत नही की , हो सकता है परिस्थितियाँ ही ऐसी बन जाती है कि आप चाह कर भी हार को टाल नही सकते।
एक समय था जब लोगो को लगता था कि करोड़ – दो करोड़ की इन्वेस्टमेंट करके वो फार्मा सेक्टर में अच्छा मार्जिन लेकर काम कर सकते है। जब हिमाचल और UK एक्साइज मुक्त हुआ तब बहुत सी मार्केटिंग कम्पनियो ने , बड़े बड़े थोक विक्रेताओ ने , यहाँ तक की डॉक्टर्स ने भी फार्मा मैन्युफैक्चरिंग में कदम रखा। उसके बाद फार्मा मार्किट एक तरह से खुली किताब की तरह हो गई। अँधा धुन कम्पनियो ने फार्मा सेक्टर और इसमें मिलने वाले मार्जिन को आसमान से फर्श पर गिरा दिया। 2006 के आस पास अगर किसी प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट 60/- होती थी तो कंपनिया उसे 180 या उससे ज्यादा नेट रेट पर बेचती थी लेकिन आज हालात ये है कि आज उसी प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट 95/- हो गयी है और आप उस प्रोडक्ट को 105/- में नही बेच सकते। आप समझ सकते है मै किस प्रोडक्ट की बात कर रहा हूँ। रॉ मटेरियल के बड़े दामो ने छोटी कम्पनियो के लिए और मुश्किलें पैदा कर दी है।
कम्पीटीशन काफी बढ़ गया है लेकिन इसके साथ साथ फ्रेंचाइजी मार्किट का आकार भी बढ़ गया है।कुछ कम्पनियो ने अच्छा काम किया है लेकिन कंपनिया नुकसान में भी गयी है। पिछले दो तीन साल से सेक्टर में कोई काश मूवमेंट वाली बात नही है इसी कारण से जिन कम्पनियो ने काफी क्रेडिट मार्किट में दिया हुआ था उनके लिए काफी मुश्किल पेश आई। इस साल की फार्मा मंदी ने तो कम्पनियो की कमर ही तोड़ दी है। बहुत सी कंपनिया बिकने की कगार पर पहुँच चुकी है। एक तरफ तो बड़ी कंपनिया छोटी कम्पनियो के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है और दूसरी तरफ मार्जिन और सेल की गिरावट ने मैन्युफैक्चरिंग कम्पनियो के साथ साथ मार्केटिंग कम्पनियो की हालत भी पतली कर दी है। सबको उम्मीद है कि अगला साल एक अच्छी सेल और सीजन लेकर आएगा लेकिन भविष्य के बारे में क्या कहा जा सकता है।
जो चीज़ समझ से परे है , वो है कि अगर मार्किट में सेल नही है तो रॉ मटेरियल के दाम इतने ज्यादा क्यों होते जा रहे है। पिछले कुछ सालो में मेने रॉ मटेरियल के दामो के बढ़ने में एक पैटर्न देखा है। हर साल किन्ही प्रोडक्ट के रॉ मटेरियल के दाम आसमान छूने लगते है। जबकि कोई ज्यादा अंतर नही पड़ना चाहिए। हो सकता है कि यह किसी सोची समझी चाल के तहत हो जो छोटी कम्पनियो को कॉम्पिटिशन से बाहर करने के लिए हो। क्योंकि बड़ी कम्पनियो में रॉ मटेरियल को स्टॉक करने की क्षमता होती है जबकि छोटी कंपनिया अपनी जरुरतो के हिसाब से ही रॉ मटेरियल खरीदती है। अचानक रेट्स का बढ़ जाना उनके प्रोडक्ट को मार्किट से कुछ समय के लिए ही सही लेकिन बाहर रखने या शार्ट रखने में काफी हो जाता है। रॉ मटेरियल के रेट्स के बढ़ने का पता भी बड़ी कम्पनियो को पहले चल जाता है और उनके पास बहुत समय होता है अपनी जरूरत के अनुसार स्टॉक इकटा करने का।
इस मंदी का जहाँ नुकसान है वंही फायदा भी है। आज के दौर को एक्सपर्ट्स रिफाइनिंग पीरियड के हिसाब से भी देख रहे है। मोटे मार्जिन और साफ़ सुथरा काम होने की वजह से हर कोई फार्मा सेक्टर में प्रवेश करने लग गया था। यह समय उन लोगो को मार्किट से बाहर करने वाला समय है। जो कंपनिया इस मंदी को अच्छी तरह सह सकेगी वो ही मार्किट में टिक पायेगी। मार्किट क्रेडिट से शिफ्ट होकर एडवांस पेमेंट की ओर बढ़ रही है जो की एक अच्छा संकेत है। आज के समय में जरूरी नही की आप बड़े इन्वेस्टमेंट के साथ ही कामयाब हो सकते है , अगर आप को फील्ड का अच्छा ज्ञान है तो आप कम इन्वेस्टमेंट से भी अच्छा लाभ कमा सकते है।
कंपनी के लिए उसकी सेल के अलावा उसके खर्चे भी बहुत फर्क डालते है। आज वो ही कंपनिया मुश्किल दौर से गुजर रही है जिनके या तो खर्चे बहुत ज्यादा है या उन्होंने मार्किट में क्रेडिट बहुत ज्यादा दिया हुआ है। यह दौर एक्सपेंशन के लिए बहुत ही उपयोगी है। आप नए लिंक्स और अपने नेटवर्क को ओर बढ़ा सकते है। इस बार सबके पास आपकी बात सुनने का समय है क्योंकि मार्किट में काम ही नही है। यह सीजन तो फार्मा कंपनियों के लिए सही नही रहा, अगर अगले सीजन में मार्किट में बूम आता है तो नए लिंक्स और नेटवर्किंग आपके लिए सफलता के नए दरवाजे खोल देंगे।
फार्मा सेक्टर के इस सीजन को तो हम बाय बाय कहने वाले है। लेकिन फिर भी बचे खुचे दिनों से कुछ उम्मीद कर सकते है। फेस्टिवल्स के बाद ही हम जैसे लोग मार्किट में नए लिंक्स बनाने और सेल को बढ़ाने निकलते थे , लेकिन इस बार पुरे सीजन जैसे सर्दियों वाला ही हाल रहा है। बहुत सारे फैक्टर्स होते है जिन पर मार्किट निर्भर कर सकती है। उम्मीद है कि बड़ी कम्पनियो के साथ साथ छोटी कम्पनियो के भी अच्छे दिन आएंगे। बस इसी आशा पर आज का वार्ता लाप समाप्त करते है।
kya lgta hai aap logo ko ki jo dvaye adhik hanikark hai unko ban kiya jaye ya nhi