उच्च रक्त चाप यानि हाई ब्लड प्रेशर शरीर की उस पर्तिकिर्या को कहते है जब ब्लड वेसल्स ( खून की नलिया ) संकुतित हो जाती है और हमारे दिल यानि हार्ट को ज्यादा खून (ब्लड) पम्प करना पड़ता है। ब्लड वेसल्स के संकुतित हो जाने से शरीर के महत्वपूर्ण अंगो को खून की सप्लाई बादित होती है। उन अंगो तक ब्लड पहुंचाने के लिए दिल को ज्यादा काम करना पड़ता है। उच्च रक्त चाप एक बीमारी नही है बल्कि ये हमारे शरीर का प्रतियात्मक किर्या होती है जो कि हमारा शरीर किसी भी शारीरिक खराबी की उपस्थिति में करता है।
आधुनिक मेडिकल साइंस में हम केवल उच्च रक्त चाप को नियंत्रित कर सकते है। हमारे पास इसका कोई भी स्थायी उपचार नही है। हम अपने रहन सहन में बदलाव कर एक स्वस्थ जीवन जी सकते है। आज के दौर में 40 साल से ज्यादा ऊमर के व्यक्ति उच्च रक्त चाप से ज्यादा पीड़ित होते है। गलत जीवन शैली बहुत हद तक इसके लिए जिम्मेवार है। फ़ास्ट फ़ूड , हाई फैट फूड्स , अलकोहल और ज्यादा सोडियम का सेवन इसके कुछ कारणों में से है।
आयुर्वेद में हमेशा सेंदा नमक उपयोग में लाया जाता है। सेंदा नमक में सोडियम कम होता है और पोटैशियम ज्यादा। हमारे बड़े बजुर्ग भी सेंदा नमक उपयोग में लाया करते थे।
यही बात अभी हाल में हुइ रिसर्च भी प्रमाणित करती है। ऑनलाइन पत्रिका ‘जेएएमए पीडियाट्रिक्स’ में प्रकाशित हुए अध्ययन में कहा गया है की जिन किशोरियों ने 2400 मिलीग्राम या इससे ज्यादा मात्रा में पोटैशियम का सेवन किया था उनमे रक्तचाप कम पाया गया और जिन किशोरियों ने 3000 मिलीग्राम नमक का ग्रहण किया था उनके रक्तचाप पर कोई प्रभाव देखने को नही मिला। शोधकर्ताओं ने पाया है कि उच्चरक्तचाप के लिए ज्यादा नमक ही जिम्मेदार नही है बल्कि कम मात्रा में पोटैशियम का सेवन भी आपको उच्च रक्तचाप का मरीज बना सकता है।
मजेदार बात ये है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO ) प्रतिदिन केवल 2000 मिलीग्राम तक सोडियम के सेवन की ही सलाह देता है। शोधकर्ताओं ने किशोरावस्था के अंत में द्रिघावधि तक सोडियम और पोटैशियम का रक्तचाप का अध्ययन कर रहे थे।