किसी भी कंपनी या फ्रेंचाइजी डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए उसका दूसरा और तीसरा साल उसकी दिशा तय करता है

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किसी भी कंपनी या फ्रेंचाइजी डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए उसका दूसरा और तीसरा साल बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। पहला साल तो आपको कंपनी अथवा डिस्ट्रीब्यूशन स्थापित करने में ही गुजर जाता है। आपकी सेल भी ज्यादा नही होती। आप काम पर पैसा लगा चुके होते है किन्तु अभी प्रोडक्ट्स की मूवमेंट ज्यादा नही होती। आपकी सप्लाई भी कम ही होती। दूसरे साल में या जैसे ही आपके प्रोडक्ट्स मूवमेंट में आते है आपको और पैसा मार्किट में लगाना पड़ जाता है।

मार्किट से जैसे ही दुबारा आपके प्रोडक्ट्स की डिमांड उठती है, वो बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण होता है।  उस वक़्त आपके पास पैसा लगभग खत्म हो चूका होता है। मार्किट से वापिस पैसा अभी आना नही होता है। उठी डिमांड को पूरा करना जरुरी होता है क्यों कि अगर अब आप इस क्षण मार्किट में पैर न जमा पाये तो आपका मार्किट से बाहर हो जाने का खतरा बढ़ जाता है। अपना काम शुरू करना जितना मुश्किल होता है उतना ही मुश्किल अपने काम के पहले 3 साल गुजारना है।

ज्यादातर कंपनिया बैंक से लोन भी अपने दूसरे या तीसरे  साल में ही लेती है। बढ़ती लागत को देखते हुए आपको अपने स्टॉक को भी बढ़ाना पड़ेगा और मार्किट में ओर प्रमोशन के लिए भी आपको पैसा चाहिए। अगर आप अपनी कंपनी को या काम को सफल करना चाहते है तो पहले 3 साल कमाने के बारे में न सोचे।  इसीलिए आपको अपना कोई दूसरा इनकम का साधन रखना चाहिए ताकि आपकी जरूरते पूरी होती रही।

आपका मार्किट में स्थापित होने या न होने में इन 3 सालो का बड़ा महत्व होता है। इन 3 सालो में पैसे कमाना बहुत मुश्किल काम है , बचा रहना ही बहुत बड़ी बात है। एक रिसर्च के अनुसार अमेरिका में हर साल 30000 से ज्यादा के करीब कंपनिया शुरू होती है और आधे से ज्यादा अपने पहले 3 साल में ही बंद हो जाती है। कुछ कम्पनियो को छोड़ कर  ज्यादातर कंपनिया अपनी इन्वेस्टमेंट को भी पूरा नही कर पाती। फिर भी हर साल कंपनिया शुरू होती है और बंद होती रहती है। लेकिन जो पहले 3 साल सरवाइव कर जाता है  फिर उसकी जो लाइफ होती है उसकी आप कल्पना भी नही कर सकते।

उसके बाद आप खुद के  समय के खुद मालिक  होंते है। यह आत्म  निर्भरता ही आपकी जीत है। अधिकतर लोग यह सोच कर ही कुछ शुरू नही करते कि ये सब उनसे नही होगा। वो सिर्फ दुसरो के लिए कर सकते है। बिज़नेस या खुद का काम उनके बस का काम नही है।

कभी सोच कर देखो दुनिया भर के बदलाव केवल उन्ही की वजह से हुए है जो कुछ करने का जज्बा रखते है। अगर खुद की कंपनी से निकाले जाने के बाद स्टीव जॉब्स हार मान कर बैठ जाता और सोचता कि जब पहली कंपनी से ही बाहर कर दिया गया तो दुबारा कंपनी शुरू करके  क्या कर लूंगा तो दुनिया मोबाइल और कंप्यूटर की बदलती दुनिया नही देख पाती। दुनिया एक ऐसी कंपनी नही देख पाती जिसके प्रोडक्ट्स आने से पहले ही बिक  जाते है। जो दुनिया की उन कुछ कम्पनियो में से है जिसके पास कैश रिज़र्व में पड़ा है।

सफल होना या न होना दूसरी बात है और हम कोशिस ही न करे, ये तो कुछ ऐसा हुआ – नदी पास में है हम सोच रहे है कि इसमें से पानी पीना हमारे बस की बात नही है। अगर हम उसमे उतर कर नही देखने तो हमे कैसे पता चलेगा कि पानी कितना गहरा है। अगर नदी के बहाव का मजा लेना है तो नदी में उतरना भी पड़ेगा। तुफानो को वोही  पार करते है जो उनसे लड़ने का दम रखते है।

जिंदगी  में और कुछ नही तो बस एक बार खुद के लिए काम करने के बारे में अवश्य शुरुआत करनी चाहिए। खुद पर विस्वास कर एक दिन तू अवश्य कामयाब होगा। कामयाबी कदम चूमेगी।  बस जरूरत है आगे बढ़ने की। मौका थामने की। अपने आप से लड़ने की। अपनी परिस्थितियों से लड़ने की। अपने जनून को जगाने की। अपने हौसलों को बुलंदियों तक ले जाने की। उसके बाद ये जहाँ तुम्हारा है। तुम्हारे हर पल पर बस तुम्हारा हक़ होगा।

अपने सुरक्षित माहौल से बाहर निकलने की जरूरत है। फिर जो चोहोगे वो ही पाहोगे।

धन्यवाद।

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