20 % फार्मा फ्रेंचाइजी कंपनिया कुल फ्रैंचाइज़ी मार्केटिंग सेल का 80% कवर करती है

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हर बिज़नेस का एक ही तरीका होता है आपके 20% कस्टमर आपको 80% बिज़नेस देते है। फार्मा फ्रेंचाइजी कम्पनियो पर भी ये ही लागू  होता है। चाहे कंपनी बड़ी है या छोटी है , आप अपने कुछ कस्टमर से ही ज्यादातर सेल लेते है। मान कर चलते है कि आपकी महीने की सेल 5 करोड़ है। और आपके पास 150 कस्टमर्स है।  उन 5 करोड़ का 80% हिस्सा जोकि 4 करोड़ के आस पास बनता है वह आपके 30 कस्टमर्स से आता है। बाकि के कस्टमर्स आपकी सेल का 20% ही  दे पाते है।

कंपनी के बिज़नेस में ही नही मार्किट में भी ये ही फंडा चलता है। फार्मास्यूटिकल मार्किट की कुल टर्नओवर का 80 % सेल कुल टॉप 20 % कम्पनियो दवारा दिया जाता है। यहाँ तक की एक अनुमान के अनुसार इस 80% सेल का 80 % भी टॉप 20% कंपनियों में से भी पहली 20 % कम्पनियो द्वारा सेल किया जाता है। किसी भी कंपनी के सैलरी में किये गए खर्चो को अगर हम देखते है तो टॉप 20 % एम्प्लोए कुल दी जाने वाली सैलरी का 80 % लेते है।

फार्मा फ्रेंचाइजी मार्किट में भी 20 % कंपनिया कुल फ्रैंचाइज़ी मार्केटिंग सेल का 80% कवर करती है। बाकि की 80% कंपनिया कुल मिलकर 20% सेल कवर करती है। जो की बहुत बड़ी असमानता पैदा करती है। ज्यादातर फार्मा फ्रेंचाइजी कंपनिया छोटे मोटे तौर पर काम करती है। जिनका वार्षिक टर्नओवर 6 -20 करोड़ के आस पास रहता है।

अगर हम किसी देश की कुल जीडीपी को देखे तो भी यही नियम लागु होता है। देश के 80 % जीडीपी उसके 20 % सोर्स से आती है। उसी तरह देश के खुल धन का 80% देश के 20% लोगो के पास होता है। उस 80% धन में से भी 80% उन 20% लोगो के 20% लोगो पर होता है। आपको ये बहुत ही फजल सा कर रहा होगा। ये हमारे समाज और अर्थव्यस्था की तस्वीर है। लेकिन क्या यह तस्वीर इतनी भयानक हो सकती है। क्या हम एक नए फाइनेंसियल क्राइसिस की तरफ  बढ़ रहे है।

ये एक अनुमान है। इसमें ऊपर निचे सकता है किन्तु जो हैरान करने वाली बात है वह है कि सबमे इतनी असामान्यता क्यों है। अगर 20 % कंपनिया 80% मार्किट पर कब्ज़ा रखती है तो ये तो एक तरह से मोनोपोली राइट्स की तरह है। जहा ये चिंता का विषय है वहीं ये एक उम्मीद भी पैदा करती है। बड़ी कंपनी सबको मार्जिन कम ही देती है। और मार्किट में बहुत से लोग उनसे संतुष्ट नही होते। कोई दूसरा न होने की वजह से या बड़े नाम की वजह से वो उनसे जुड़े होते है। इसीलिए मार्किट में उनके शेयर से अपना शेयर निकालना जहाँ मुश्किल है वही अच्छी सर्विस और प्रोडक्ट्स के साथ आसान भी है।

मार्किट बहुत तेजी से बदल रही है। नए नए लोग नयी ऊर्जा के साथ अपने स्टार्ट-अप लेकर आ रहे  है। उनमे जनून है। कुछ करने का जज्बा है। इस साल फार्मा मार्किट अब तक कुछ ठंडी जरूर थी लेकिन फिर भी स्टार्ट अप्स ने काफी अच्छा ग्रो किया है। फार्मा  फ्रेंचाइजी मार्किट में अब भी काफी स्कोप है नए लोगो के लिए।

अपने अनुभव से मैने जो सीखा है वो तो ये ही बताता है कि कस्टमर संतुष्टि और रिलेशनशिप ही वो चीज़े है जो बड़ा नाम बनने में और छोटा बने रहने में फर्क पैदा करती है।

धन्यवाद।

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