यहाँ पर हम चार पॉइंट्स डिसकस करेंगे कि कैसे आप आयुर्वेदिक और फार्मा फ्रैंचाइज़ी डिस्ट्रीब्यूशन में कामयाब हो सकते हो
अपने कस्टमर को जानिए
पहला पॉइंट है क्नोव अबाउट योर कस्टमर – अपने कस्टमर को जानिए
तब तक आप फ्रैंचाइज़ी डिस्ट्रीब्यूशन में कामयाब नहीं हो सकते स्पेशल्ली फार्मा और आयुर्वेदिक में। जब तक आप अपने कस्टमर को नहीं जानेंगे कि आपको किस कस्टमर पर कंसन्ट्रेट करना है
आपको डॉक्टर पर कंसन्ट्रेट करना है, BAMS डॉक्टर पर कंसन्ट्रेट करना है, वैद हाकिम पर कंसन्ट्रेट करना है, रिटेलर पर, केमिस्ट पर, फार्मेसी पर कंसन्ट्रेट करना है, डायरेक्ट टु कस्टमर आपको कंसन्ट्रेट करना है।
आपको किस पर कंसन्ट्रेट करना है जब तक आपको यही नहीं पता होगा तब तक आप फ्रैंचाइज़ी डिस्ट्रिब्यूशन में कामयाब नहीं हो सकते।
तो सबसे पहला जो पॉइंट है किसी भी आयुर्वेदिक कंपनी की फ्रेंचाइजी डिस्ट्रिब्यूशन लेने से पहले तो वह यही है कि आप यह तय करिये कि आपका जो कस्टमर है वह कौन सा रहेगा उसी के हिसाब से आप प्रोडक्ट सेलेक्ट कर यह उसी हिसाब से अब कंपनी सेलेक्ट करिये।
अपनी आयुर्वेदिक कंपनी ध्यान से ढूंढिए
यहाँ हम बात करेंगे सेकंड प्वाइंट के बारे में, जो है अपनी कंपनी को ढूंढ़ना – चूज योर आयुर्वेदिक कंपनी वाइसली।
बहुत हद तक यह फर्स्ट स्टेप से ही भी रिलेटेड है आपने जब एक कस्टमर बेस तय कर लिया है उसके बाद आपको डिसाइड करना है कि उन कस्टमर्स पर कौन से प्रोडक्ट आपको प्रमोट करने है और उन प्रोडक्ट्स के हिसाब से ही आपको अपनी आयुर्वेदिक कंपनी को सेलेक्ट करना है।
क्योंकि अगर उस कंपनी के पास को वो प्रोडक्ट नहीं है जो आपके कस्टमर बेस के हिसाब से आपके लिए सही रहेंगे तो आपके लिए उस कंपनी को सेलेक्ट करना बिल्कुल ही यूज़ लैस होगा।
इसके अलावा आपको प्रोडक्ट की क्वालिटी देखनी है कंपनी की रेपुटेशन देखनी है और उसके पास कितनी बड़ी रेंज है जिस पर आप काम कर सकते हैं वह सब कुछ देखना है।
तो कपंनी को सेलेक्ट करना भी आपके सबसे मेजर काम में से एक रहेगा अगर आप फ्रैंचाइज़ी डिस्ट्रीब्यूशन में मगर कामयाब होना चाहते हो।
मार्केटिंग और सेल्स एप्रोच
हम तीसरे पॉइंट की बात करेंगे जो आपके लिए जरूरी है अगर आप आयुर्वेदिक फ्रैंचाइज़ी डिस्ट्रीब्यूशन में कामयाब होना चाहते हो तो।
तीसरा जो पॉइंट रहेगा वो रहेगा आपका मार्केटिंग और सेल्स एप्रोच।
आप किस तरह से मार्किट करना चाहते हो अपने प्रोडक्ट को किस रेट पर बेचना चाहते हो आप क्या इंसेंटिव देना चाहते हो।
या क्या मार्जिन देना चाहते हो सामने वाले पर्सन को, किस रेंज के प्रोडक्ट आप रखना चाहते हो तो बहुत कुछ आपके इसी डिसीजन पर मैटर करता है।
आप उसको अड्वरटाइज़ कैसे करना चाहते हो, मार्किट कैसे करना चाहते हो, आप डोर-टू-डोर जाना जाता हो, केमिस्ट पर जाना चाहते हो।
50% पर सेल आउट करना चाहते, 60 पर करना चाहते हो या पी टी र पीटीएस पर करना चाहते हो, डॉक्टर को नेट रेट पर देना चाहते हो तो किस तरह आपकी मार्केटिंग और सेल एप्रोच रहेगी।
तो उन सब चीजों पर डिपेंड करता है कि आपकी फ्रैंचाइज़ी डिस्ट्रिब्यूशन कामयाब होगी या नहीं होगी। इस मार्किट में आप अपने आपको किस तरह एप्रोच करते हो तो क्या आपका सेल स्ट्रक्चर रहेगा तो वहीँ यह डिपेंड करेगा कि आप फ्रैंचाइज़ी डिस्ट्रीब्यूशन में कामयाब होते हो या नहीं।
फाइनेंसियल मैनेजमेंट
हम फोर्थ स्टेप में बात करेंगे कि अगर आप आयुर्वेदिक फ्रैंचाइज़ी डिस्ट्रीब्यूशन में कामयाब होना चाहते हो तो फोर्थ स्टेप कौन सा रहेगा वो रहेगा आपका – फाइनेंसियल मैनेजमेंट।
एक्चुअली हम काम को चला लेते हैं थोड़ा सा रन भी कर रहे थे हमें प्राइमरी कस्टमर भी मिल जाते हैं जो किसी भी बिज़नेस के लिए बहुत ही जरूरी होते हैं।
उसके प्राइमरी कस्टमर्स और उसकी प्राइमरी पेमेंट कलेक्शंस बहुत जरूरी होती है किसी भी बिज़नेस के सरवाइवल के लिए लेकिन इसके बाद हमें बहुत सारे ऐसे डिसीजन लेने पड़ते है , फाइनेंसियल डिसीजन लेने पड़ते हैं जहां पर हमारी सक्सेस और फेलियर डिपेंड करती है
तो फाइनेंसियल मैनेजमेंट का आपको बढ़ा ध्यान रखना है, आपको किसी पर ज्यादा पैसा नहीं लगाना है आपको पेमेंट कलेक्शन पर भी उतना ही ध्यान देना है जितना आप अपनी सेल्स पर देते हो और आपको अनावश्यक रूप से बिजनेस से पैसा बाहर नहीं निकालना है।
आपको तीन या चार या पांच साल अपने फाइनेंस को अपने बिजनेस में स्टेबल रखना है उसको दुबारा इन्वेस्ट करने की कोशिश करनी है और पेमेंट के कलेक्शन पर भी बहुत अच्छा ध्यान देना है और कहीं पर ज्यादा पेमेंट नहीं फ़साना है।
उम्मीद करते है आपको यह इनफार्मेशन अच्छी लगी होगी